भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ लेकिन एक स्वतंत्र और संप्रभु गणराज्य बनने का सपना 26 जनवरी 19 50 को पूरा हुआ। यह वो दिन था जब भारत का संविधान लागू हुआ और देश ने अपना पहला गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाया। इस दिन को 1930 में पूर्ण स्वराज दिवस के संकल्प के कारण चुना गया। 26 जनवरी 1930 को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी और इस दिन को पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया था। यह ऐतिहासिक क्षण हर भारतीय के लिए गर्व और उत्साह से भरा हुआ था। देश के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी 1950 को सुबह 10:18 पर भारत को संप्रभु गणराज्य घोषित किया।

इसके ठीक 6 मिनट बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। यह शपथ समारोह राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में हुआ। इसके बाद राष्ट्रपति को तोपों की सलामी दी गई, जो आज भी गणतंत्र दिवस समारोह का अभिन्न हिस्सा है। दिल्ली में आयोजित पहली गणतंत्र दिवस परेड इरविन स्टेडियम यानी आज की मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में हुई। यह पैरेड दोपहर ढाई बजे शुरू हुई थी। राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद विशेष रूप से सजी बगी में सवार होकर कनॉट प्लेस होते हुए पौने बजे इरविन स्टेडियम पहुंचे। इस मौके पर आधुनिक गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति ने इरविन स्टेडियम में 15000 लोगों के सामने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली। पहली गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना के तीनों बल थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने हिस्सा लिया। इस परेड में 3000 जवान और 100 विमान शामिल हुए। डकोटा और स्पिटफायर जैसे विमानों ने फ्लाई पास किया। फ्लाई पास ने इस आयोजन को और भव्य बनाया। पहली बार गणतंत्र दिवस पर 31 तोपों की सलामी दी गई, जिससे दिल्ली गूंज उठी। बाद में तोपों की सलामी की संख्या घटाकर 21 कर दी गई। पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉक्टर सुकर्णों थे।
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पहले गणतंत्र दिवस में शामिल मुख्य अतिथि डॉ. सुकर्णो |
इसी दिन गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि को आमंत्रित करने की परंपरा की शुरुआत हुई। 1950 की परेड भले ही आज की परेड जैसी भव्य नहीं थी, लेकिन यह भारतीयों के लिए गर्व और नई शुरुआत की प्रतीक थी। इसमें झांकियां नहीं थी, लेकिन सेना की टुकड़ियों ने उस समय के पराक्रम का प्रदर्शन किया। इसके बाद के वर्षों में परेड की भव्यता बढ़ती गई और झांकियां लोक नृत्य और आतिशबाजी भी समारोह का हिस्सा बने। पहला गणतंत्र दिवस समारोह सिर्फ एक आयोजन नहीं था। यह भारत के गणराज्य बनने का उत्सव था। आज भी उस ऐतिहासिक दिन की यादें हर भारतीय को गर्व से भर देती हैं।
1950 से लेकर 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड वर्तमान कर्तव्य पथ पर नहीं हुई। इसका आयोजन कभी इरविन स्टेडियम कभी किंग्सवे कैंप तो कभी रामलीला मैदान में किया गया। 1954 से इसका आयोजन राजपथ पर होने लगा जिसे अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाता है। पहली बार 1953 में सेना एवं सशस्त्र बलों के साथ राज्यों की झांकियों को भी शामिल किया गया। इसका मकसद राज्यों के बीच एक तालमेल और स्वस्थ प्रतियोगिता के साथ ही एकता की भावना को विकसित करना था। एकता की भावना का यह क्रम आज भी चल रहा है।
वर्ष 1975 गणतंत्र की रजत जयंती
गणतंत्र भारत की सिल्वर जुबली 1975 में आई। देश के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय था, क्योंकि 1975 से 1977 तक देश में आपातकाल लगाया गया। 1975 में गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि जांबिया के राष्ट्रपति केनेथ कोंडा ने हिस्सा लिया। इस वर्ष Republic Day परेड में भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता प्रदर्शित की गई।
गणतंत्र दिवस में पहला महिला दस्ता
1975 में पहली बार सेना, नौसेना और वायु सेना के महिला दस्ते ने गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया था। इस ऐतिहासिक मौके पर आर्मी के महिला दस्ते का नेतृत्व कैप्टन दिव्या अजीत ने, नेवी के महिला दस्ते का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर संध्या चौहान ने और एयरफोर्स दस्ते का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर स्नेहा शेखावत ने किया था। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की 148 महिला सैन्य अधिकारियों का यह दस्ता पहली बार रिपब्लिक डे परेड में शामिल हुआ था। 1975 गणतंत्र दिवस परेड में ही देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी डॉक्टर किरण बदी ने गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली पुलिस कंटिजेंट का नेतृत्व कर इतिहास रचा था। 26 वर्ष की युवा आईपीएस अधिकारी किरण बेदी उस समय दिल्ली पुलिस की एसीपी थी।
वर्ष 2000 गणतंत्र की स्वर्ण जयंती
सन 2000 में गणतंत्र की गोल्डन जुबली के अवसर पर परेड के दौरान फोकस भारत की प्रगति और उपलब्धियों पर केंद्रित रहा। इस वर्ष रिपब्लिक डे परेड में नाइजीरिया के राष्ट्रपति ऑल सिगन ओब सांजू बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस वर्ष स्पेस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत के बढ़ते रुतबे और विशेषकर इसरो की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया। इसी वर्ष परेड में अग्नि टू मिसाइल का प्रदर्शन किया गया। इस वर्ष इंडियन एयरफोर्स ने भी अपने तत्कालीन एडवांस एयरक्राफ्ट के साथ फ्लाई पास में हिस्सा लिया। झांकियों में भी संविधान और गणतंत्र के स्वर्ण जयंती वर्ष की झलक साफ रूप से दिखाई दी।
गणतंत्र दिवस परेड विशिष्ट विदेशी अतिथि
गणतंत्र दिवस परेड में हर वर्ष एक विदेशी राष्ट्रध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। 1950 में शुरू हुई यह परंपरा आज भी जारी है। गणतंत्र दिवस पर प्रमुख विशिष्ट विदेशी मेहमानों की बात करें तो 1989 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ वियतनाम के जनरल सेक्रेटरी गुयेन वान लिन्ह भारत आए थे। 1995 की रिपब्लिक डे परेड में दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला। 2015 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा। 2018 में आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष। 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल सिसी और 2024 में फ्रांस के राष्ट्रपति एम्युनल मैक्रों शामिल है।
वर्ष 2025 गणतंत्र की हीरक जयंती
2025 गणतंत्र दिवस परेड का डायमंड जुबली वर्ष है। हीरक जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर कर्तव्य पथ में फोकस संविधान को अंगीकार करने के 75 वर्ष पूरे होने और जन भागीदारी पर है। झांकियों को स्वर्णम भारत विरासत और विकास की थीम पर सजाया गया है। गणतंत्र दिवस 2025 के विशेष अवसर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि हैं।
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मुख्य अतिथि राष्ट्रपति सुबियांतो और भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू |
34 अलग-अलग कैटेगरी में लगभग 10000 विशेष अतिथि गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ की शोभा बढ़ाते नजर आए। समाज के विभिन्न वर्गों से संबंध रखने वाले इन विशिष्ट अतिथियों को स्वर्णिम भारत के निर्माता के रूप में आमंत्रित किया जा रहा है। कुल मिलाकर भारतीय गणतंत्र का अमृत उत्सव हर मायने में भव्य और दिव्य है और हो भी क्यों ना यह दुनिया के सबसे बड़े और सफल लोकतंत्र गणतंत्र का उत्सव है। ये एक भारत श्रेष्ठ भारत विश्व गुरु भारत और विकसित भारत का उत्सव है।
इसे भी देखें - पराक्रम दिवस
By Anil Paal
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